Table of contents
- बिज़नेस लोन क्यों ज़रूरी है? (Why is a Business Loan Necessary?)
- भारत में बिज़नेस लोन के प्रकार (Types of Business Loans in India)
- बिज़नेस लोन के लिए पात्रता मापदंड (Eligibility Criteria)
- बिज़नेस लोन के लिए आवश्यक दस्तावेज़ (Required Documents)
- बिज़नेस लोन कैसे प्राप्त करें: स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया (How to Get a Business Loan: Step-by-Step Process)
- लोन अप्रूवल को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Loan Approval)
- लोन जल्दी अप्रूव कराने के टिप्स (Tips for Faster Loan Approval)
- भारत में बिज़नेस लोन के लिए सरकारी योजनाएं (Government Schemes for Business Loans in India)
- ब्याज दरें और शुल्क (Interest Rates and Charges)
- निष्कर्ष (Conclusion)
- सबसे जरूरी सवाल (Frequently Asked Questions – FAQs)
आज के प्रतिस्पर्धी दौर में, अपने बिज़नेस को शुरू करना या उसे आगे बढ़ाना एक चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है। कई बार हमें अपने सपनों को साकार करने या बिज़नेस को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होती है। यहीं पर बिज़नेस लोन (Business Loan) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन बिज़नेस लोन कैसे ले (business loan kaise le)? यह सवाल अक्सर छोटे और बड़े व्यापारियों के मन में आता है।
इस लेख में, हम आपको भारत में बिज़नेस लोन लेने की पूरी प्रक्रिया, इसके प्रकार, पात्रता, ज़रूरी दस्तावेज़ और सरकारी योजनाओं के बारे में विस्तार से बताएंगे। यह जानकारी आपको सही निर्णय लेने और आसानी से लोन प्राप्त करने में मदद करेगी।
बिज़नेस लोन क्यों ज़रूरी है? (Why is a Business Loan Necessary?)
बिज़नेस लोन आपकी व्यावसायिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एक बेहतरीन वित्तीय साधन है। इसके कुछ मुख्य फायदे इस प्रकार हैं:
- बिज़नेस का विस्तार (Business Expansion): नई ब्रांच खोलना, नए बाज़ार में प्रवेश करना या उत्पादन क्षमता बढ़ाना।
- कार्यशील पूंजी (Working Capital): रोज़मर्रा के खर्चे जैसे कच्चा माल खरीदना, कर्मचारियों का वेतन देना, स्टॉक बढ़ाना आदि को मैनेज करना। (Flexiloans, Lendingkart)
- नए उपकरण या मशीनरी खरीदना (Purchase New Equipment/Machinery): टेक्नोलॉजी अपग्रेड करना या नई मशीनें खरीदना।
- कैश फ्लो मैनेजमेंट (Cash Flow Management): बिज़नेस में नकदी के प्रवाह को सुचारू बनाए रखना, खासकर मौसमी उतार-चढ़ाव के दौरान।
- मार्केटिंग और विज्ञापन (Marketing & Advertising): अपने प्रोडक्ट या सर्विस को प्रमोट करने के लिए।
- आकस्मिक ज़रूरतें (Contingency Needs): अचानक आई किसी वित्तीय ज़रूरत को पूरा करने के लिए।
भारत में बिज़नेस लोन के प्रकार (Types of Business Loans in India)

भारत में विभिन्न प्रकार के बिज़नेस लोन उपलब्ध हैं, जिन्हें आप अपनी ज़रूरत के अनुसार चुन सकते हैं:
- टर्म लोन (Term Loan): यह एक निश्चित अवधि (जैसे 1 से 5 साल या अधिक) के लिए लिया जाने वाला लोन है, जिसे आप समान मासिक किश्तों (EMI) में चुकाते हैं। यह अक्सर बिज़नेस विस्तार, मशीनरी खरीदने या अन्य लॉन्ग-टर्म ज़रूरतों के लिए लिया जाता है। (Paisabazaar, IIFL Finance)
- वर्किंग कैपिटल लोन (Working Capital Loan): यह लोन बिज़नेस के रोज़मर्रा के खर्चों को पूरा करने के लिए होता है। इसकी अवधि आमतौर पर कम होती है। (Flexiloans, IIFL Finance)
- मशीनरी/इक्विपमेंट लोन (Machinery/Equipment Loan): विशेष रूप से नई मशीनरी या उपकरण खरीदने के लिए यह लोन दिया जाता है। खरीदी गई मशीनरी अक्सर लोन के लिए सिक्योरिटी का काम करती है। (Flexiloans)
- फ्लेक्सी बिज़नेस लोन (Flexi Business Loan): इसमें आपको एक स्वीकृत लोन लिमिट मिलती है, जिसमें से आप अपनी ज़रूरत के अनुसार कई बार पैसे निकाल सकते हैं और केवल निकाली गई राशि पर ही ब्याज देना होता है। यह मौसमी या अप्रत्याशित ज़रूरतों के लिए बहुत उपयोगी है। (Bajaj Finserv)
- इनवॉइस फाइनेंसिंग/बिल डिस्काउंटिंग (Invoice Financing/Bill Discounting): इसमें आप अपने ग्राहकों को जारी किए गए बिल (Invoice) के बदले फाइनेंस प्राप्त कर सकते हैं, जिससे पेमेंट मिलने तक का कैश फ्लो गैप भर जाता है।
- लेटर ऑफ क्रेडिट (Letter of Credit – LC): यह अंतर्राष्ट्रीय या घरेलू व्यापार में सप्लायर को पेमेंट की गारंटी देने के लिए बैंक द्वारा जारी किया गया एक पत्र है।
- ओवरड्राफ्ट (Overdraft): यह आपके बैंक अकाउंट में जमा राशि से ज़्यादा पैसे निकालने की सुविधा है। ब्याज केवल निकाली गई अतिरिक्त राशि पर लगता है। (Lendingkart)
- सरकारी योजना लोन (Government Scheme Loans): सरकार छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाती है, जैसे मुद्रा लोन, स्टैंड-अप इंडिया आदि। (इनके बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है)।
बिज़नेस लोन के लिए पात्रता मापदंड (Eligibility Criteria)
हर बैंक या NBFC (Non-Banking Financial Company) के पात्रता मापदंड थोड़े अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य शर्तें इस प्रकार हैं:
- आयु (Age): आवेदक की आयु आमतौर पर 21 से 65 वर्ष के बीच होनी चाहिए। कुछ लेंडर 18 वर्ष या 25-68 वर्ष की सीमा भी रख सकते हैं। (Flexiloans, Manba Finance)
- बिज़नेस कितना पुराना है (Business Vintage): आपका बिज़नेस कम से कम 1 से 3 साल पुराना होना चाहिए। कुछ लेंडर नए बिज़नेस या स्टार्टअप को भी लोन देते हैं (खासकर सरकारी योजनाओं के तहत)। (IIFL Finance, Manba Finance)
- वार्षिक टर्नओवर (Annual Turnover): लेंडर एक न्यूनतम वार्षिक टर्नओवर की शर्त रख सकते हैं, जो लोन के प्रकार और राशि पर निर्भर करता है (जैसे ₹10 लाख या ₹25 लाख सालाना)। (Flexiloans)
- क्रेडिट स्कोर (Credit Score/CIBIL): एक अच्छा क्रेडिट स्कोर (आमतौर पर 700-750 या अधिक) लोन अप्रूवल की संभावना बढ़ाता है और बेहतर ब्याज दर दिलाने में मदद करता है। (Paisabazaar, Tata Capital)
- बिज़नेस का प्रकार (Business Type): लोन प्रोपराइटरशिप, पार्टनरशिप फर्म, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, LLP आदि सभी प्रकार के बिज़नेस ले सकते हैं। (Paisabazaar)
- आय/लाभ (Income/Profitability): बिज़नेस पिछले कुछ वर्षों से लाभ कमा रहा हो (यह शर्त नए बिज़नेस पर लागू नहीं हो सकती)।
- राष्ट्रीयता (Nationality): आवेदक भारत का नागरिक होना चाहिए। (Flexiloans)
- कोई पुराना डिफ़ॉल्ट न हो (No Past Defaults): आपने पहले कोई लोन डिफ़ॉल्ट न किया हो। (Flexiloans)
बिज़नेस लोन के लिए आवश्यक दस्तावेज़ (Required Documents)

लोन आवेदन के समय आपको कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ जमा करने होते हैं। यह लिस्ट थोड़ी अलग हो सकती है, लेकिन मुख्य दस्तावेज़ इस प्रकार हैं: (HDFC Bank, SMFG India Credit, Manba Finance)
- पहचान प्रमाण (Identity Proof): पैन कार्ड (PAN Card), आधार कार्ड (Aadhaar Card), पासपोर्ट, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस।
- पता प्रमाण (Address Proof): आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली/पानी का बिल (Utility Bill)।
- बिज़नेस का प्रमाण (Business Proof):
- बिज़नेस रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
- GST रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
- शॉप एक्ट लाइसेंस (Shop Act License) / ट्रेड लाइसेंस (Trade License)
- पार्टनरशिप डीड (Partnership Deed) (यदि पार्टनरशिप फर्म है)
- मेमोरेंडम एंड आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन (MOA & AOA) (यदि कंपनी है)
- वित्तीय दस्तावेज़ (Financial Documents):
- पिछले 6 से 12 महीनों का बैंक स्टेटमेंट।
- पिछले 2-3 वर्षों के इनकम टैक्स रिटर्न (ITR), बैलेंस शीट (Balance Sheet), और लाभ-हानि खाता (Profit & Loss Account) (आमतौर पर CA द्वारा प्रमाणित)।
- पासपोर्ट साइज़ फोटो (Passport Size Photographs)
- विधिवत भरा हुआ आवेदन पत्र (Duly Filled Application Form)
- प्रोजेक्ट रिपोर्ट (Project Report): यदि आप नया बिज़नेस शुरू कर रहे हैं या किसी विशेष योजना के तहत लोन ले रहे हैं।
- अन्य दस्तावेज़ (Other Documents): बैंक या NBFC द्वारा मांगे गए कोई अन्य दस्तावेज़।
ध्यान दें: सभी दस्तावेज़ स्पष्ट और अपडेटेड होने चाहिए।
बिज़नेस लोन कैसे प्राप्त करें: स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया (How to Get a Business Loan: Step-by-Step Process)

अब जब आप जानते हैं कि बिज़नेस लोन क्या है, क्यों ज़रूरी है और इसके लिए क्या चाहिए, तो आइए जानते हैं कि business loan kaise le की पूरी प्रक्रिया क्या है:
Step 1: अपनी ज़रूरत तय करें (Assess Your Needs):
- आपको कितने लोन की ज़रूरत है?
- आप इस लोन का इस्तेमाल किस काम के लिए करेंगे (विस्तार, वर्किंग कैपिटल, मशीनरी आदि)?
- आप कितना EMI आराम से चुका सकते हैं?
- अपनी ज़रूरत का सही आकलन करना बहुत ज़रूरी है ताकि आप ज़रूरत से कम या ज़्यादा लोन न लें।
Step 2: अपनी पात्रता जांचें (Check Your Eligibility):
- ऊपर बताए गए पात्रता मापदंडों के आधार पर जांचें कि आप लोन के लिए योग्य हैं या नहीं।
- आप विभिन्न बैंकों/NBFCs की वेबसाइट पर उपलब्ध Eligibility Calculator का उपयोग भी कर सकते हैं।
Step 3: अपना क्रेडिट स्कोर जांचें (Check Your Credit Score):
- अपना लेटेस्ट CIBIL या क्रेडिट स्कोर पता करें। यदि स्कोर कम है, तो उसे सुधारने के उपाय करें। (आप Paisabazaar या CIBIL की वेबसाइट से स्कोर जांच सकते हैं)। [आंतरिक लिंक सुझाव: क्रेडिट स्कोर कैसे सुधारें?]
Step 4: लोन विकल्पों की तुलना करें (Compare Loan Options):
- यह सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक है। विभिन्न बैंकों और NBFCs द्वारा दिए जा रहे बिज़नेस लोन की तुलना करें।
- तुलना के मुख्य बिंदु:
- ब्याज दर (Interest Rate): यह फिक्स्ड है या फ्लोटिंग? कौन सबसे कम दर ऑफर कर रहा है? (वर्तमान में दरें लगभग 9% से 26% प्रति वर्ष या उससे अधिक हो सकती हैं)। (Paisabazaar, Tata Capital)
- प्रोसेसिंग फीस (Processing Fees): यह लोन राशि का कितना प्रतिशत है?
- लोन राशि (Loan Amount): क्या वे आपकी ज़रूरत के अनुसार राशि दे रहे हैं?
- चुकौती अवधि (Repayment Tenure): लोन चुकाने के लिए कितना समय मिल रहा है (आमतौर पर 1 से 5 साल)। (Flexiloans)
- अन्य शुल्क (Other Charges): जैसे प्री-पेमेंट शुल्क, लेट पेमेंट शुल्क आदि।
- लोन मिलने में लगने वाला समय (Turnaround Time): कितनी जल्दी लोन अप्रूव और डिस्बर्स हो सकता है। (Paisabazaar)
- कोलैटरल की ज़रूरत (Collateral Requirement): क्या लोन सिक्योर्ड है या अनसिक्योर्ड?
Step 5: दस्तावेज़ तैयार करें (Prepare Your Documents):
- ऊपर दी गई लिस्ट के अनुसार सभी ज़रूरी दस्तावेज़ इकट्ठा करें और उनकी कॉपी तैयार रखें। आजकल कई लेंडर ऑनलाइन डॉक्यूमेंट अपलोड करने की सुविधा देते हैं। (Lendingkart)
Step 6: आवेदन करें (Submit Your Application):
- जिस बैंक/NBFC को आपने चुना है, उसकी वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करें या नज़दीकी ब्रांच में जाकर ऑफलाइन आवेदन करें।
- आवेदन पत्र को ध्यान से भरें और सभी जानकारी सही-सही दें।
- सभी ज़रूरी दस्तावेज़ संलग्न करें।
Step 7: वेरिफिकेशन और अप्रूवल (Verification and Approval):
- बैंक/NBFC आपके द्वारा दी गई जानकारी और दस्तावेज़ों का सत्यापन (Verification) करेगा। वे आपके बिज़नेस स्थल का दौरा भी कर सकते हैं।
- आपकी क्रेडिट हिस्ट्री, रीपेमेंट क्षमता और बिज़नेस की स्थिरता का मूल्यांकन किया जाएगा।
Step 8: लोन एग्रीमेंट और डिस्बर्सल (Loan Agreement and Disbursal):
- अगर सब कुछ सही पाया जाता है और आपका लोन स्वीकृत (Approved) हो जाता है, तो आपको लोन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने होंगे।
- एग्रीमेंट की शर्तों को ध्यान से पढ़ें और समझें।
- हस्ताक्षर के बाद, लोन की राशि आपके बैंक खाते में ट्रांसफर (Disburse) कर दी जाएगी।
लोन अप्रूवल को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Loan Approval)
कुछ मुख्य कारक जो आपके लोन आवेदन के स्वीकृत या अस्वीकृत होने को प्रभावित करते हैं:
- क्रेडिट स्कोर (Credit Score): कम क्रेडिट स्कोर लोन रिजेक्शन का बड़ा कारण बन सकता है।
- चुकौती क्षमता (Repayment Capacity): अगर लेंडर को लगता है कि आप EMI चुकाने में सक्षम नहीं होंगे, तो वे लोन देने से मना कर सकते हैं।
- बिज़नेस प्लान (Business Plan): एक अस्पष्ट या अव्यावहारिक बिज़नेस प्लान नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। [आंतरिक लिंक सुझाव: बिजनेस प्लान कैसे बनाएं?]
- दस्तावेज़ों की कमी (Incomplete Documentation): अधूरे या गलत दस्तावेज़।
- बिज़नेस की स्थिरता (Business Stability): बहुत नया या अस्थिर बिज़नेस।
- मौजूदा कर्ज (Existing Debt): अगर आप पर पहले से ही बहुत ज़्यादा कर्ज है।
- गलत जानकारी (Incorrect Information): आवेदन में दी गई गलत जानकारी।
लोन जल्दी अप्रूव कराने के टिप्स (Tips for Faster Loan Approval)
- अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखें: समय पर अपने बिलों और मौजूदा लोन की EMI का भुगतान करें।
- पूरी तैयारी रखें: आवेदन करने से पहले सभी दस्तावेज़ इकट्ठा कर लें।
- सही जानकारी दें: आवेदन पत्र में कोई भी जानकारी गलत या अधूरी न भरें।
- सही लोन राशि मांगें: अपनी ज़रूरत और चुकाने की क्षमता के अनुसार ही लोन राशि के लिए आवेदन करें।
- सही लेंडर चुनें: ऐसे लेंडर चुनें जिनका प्रोसेस तेज हो (खासकर फिनटेक कंपनियां और NBFCs)। (Lendingkart)
- बिज़नेस प्लान तैयार रखें: अगर ज़रूरी हो, तो एक स्पष्ट और विस्तृत बिज़नेस प्लान बनाएं।
भारत में बिज़नेस लोन के लिए सरकारी योजनाएं (Government Schemes for Business Loans in India)

भारत सरकार MSMEs को बढ़ावा देने के लिए कई लोन योजनाएं चलाती है। ये योजनाएं अक्सर कम ब्याज दरों और आसान शर्तों पर लोन उपलब्ध कराती हैं। कुछ प्रमुख योजनाएं:
1. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY – Pradhan Mantri Mudra Yojana):
- उद्देश्य: छोटे गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि व्यवसायों (जैसे दुकानदार, कारीगर, छोटे निर्माता, सर्विस प्रोवाइडर) को फाइनेंस करना।
- लोन प्रकार:
- शिशु: ₹50,000 तक
- किशोर: ₹50,001 से ₹5 लाख तक
- तरुण: ₹5,00,001 से ₹10 लाख तक (बैंक ऑफ बड़ौदा अब ₹20 लाख तक तरुण प्लस भी दे रहा है)
- खासियत: बिना किसी गारंटी या कोलैटरल (Collateral-Free) के लोन मिलता है। प्रोसेसिंग फीस शून्य होती है।
- आवेदन: आप किसी भी बैंक, NBFC, या MFI (Micro Finance Institution) के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
- अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट: MUDRA
2. स्टैंड-अप इंडिया स्कीम (Stand-Up India Scheme):
- उद्देश्य: अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और महिला उद्यमियों को नया बिज़नेस (Greenfield Enterprise) शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- लोन राशि: ₹10 लाख से ₹1 करोड़ तक।
- खासियत: यह लोन मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस या ट्रेडिंग सेक्टर में नया उद्यम स्थापित करने के लिए दिया जाता है।
- अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट: Stand-Up India
3. क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE):
- उद्देश्य: छोटे और सूक्ष्म उद्यमों को बिना किसी थर्ड-पार्टी गारंटी या कोलैटरल के लोन उपलब्ध कराने के लिए बैंकों को क्रेडिट गारंटी कवर देना।
- लोन राशि: ₹5 करोड़ तक के लोन कवर हो सकते हैं (नई सीमा के अनुसार)।
- खासियत: इस स्कीम के तहत लोन मिलने से छोटे उद्यमियों के लिए बिना गारंटी के फाइनेंस पाना आसान हो जाता है।
- अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट: CGTMSE
4. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP – Prime Minister’s Employment Generation Programme):
- उद्देश्य: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोज़गार पैदा करने के लिए नए सूक्ष्म उद्यम स्थापित करने में मदद करना।
- लोन राशि: मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के लिए ₹50 लाख तक और सर्विस/बिज़नेस यूनिट के लिए ₹20 लाख तक।
- खासियत: इसमें सरकार द्वारा प्रोजेक्ट कॉस्ट पर सब्सिडी (15% से 35% तक) दी जाती है। इसे खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा लागू किया जाता है।
- अधिक जानकारी और आवेदन के लिए: KVIC Online Portal
5. MSME लोन 59 मिनट में (PSB Loans in 59 Minutes):
- उद्देश्य: MSMEs को विभिन्न बैंकों से बिज़नेस लोन (₹5 करोड़ तक) और मुद्रा लोन के लिए सैद्धांतिक (In-principle) मंजूरी जल्दी दिलवाना।
- खासियत: यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जहाँ आप अपने GST नंबर, इनकम टैक्स रिटर्न और बैंक स्टेटमेंट के आधार पर अप्लाई कर सकते हैं और लगभग 59 मिनट में लोन की सैद्धांतिक मंजूरी पा सकते हैं।
- आधिकारिक पोर्टल: PSB Loans in 59 Minutes
ब्याज दरें और शुल्क (Interest Rates and Charges)
बिज़नेस लोन पर लगने वाली ब्याज दरें और शुल्क विभिन्न कारकों पर निर्भर करते हैं, जैसे:
- लोन का प्रकार
- लोन राशि और अवधि
- आपका क्रेडिट स्कोर और बिज़नेस प्रोफाइल
- बैंक/NBFC की पॉलिसी
- कोलैटरल (यदि दिया गया है)
आमतौर पर, ब्याज दरें 9% प्रति वर्ष से लेकर 26% प्रति वर्ष या उससे अधिक तक हो सकती हैं। (Paisabazaar, Tata Capital) NBFCs और फिनटेक कंपनियों की दरें बैंकों की तुलना में थोड़ी ज़्यादा हो सकती हैं, लेकिन उनका प्रोसेस अक्सर तेज़ होता है।
अन्य शुल्क:
- प्रोसेसिंग फीस: लोन राशि का 0.5% से 3% तक हो सकता है।
- प्री-पेमेंट/फोरक्लोजर शुल्क: लोन अवधि से पहले पूरा लोन चुकाने पर लगने वाला शुल्क (यह 0% से 5% तक हो सकता है)। (Paisabazaar, Tata Capital)
- अन्य शुल्क: स्टाम्प ड्यूटी, डॉक्यूमेंटेशन चार्जेज, लेट पेमेंट फीस आदि।
हमेशा लोन लेने से पहले सभी शुल्कों के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी प्राप्त करें।
निष्कर्ष (Conclusion)
बिज़नेस लोन लेना आपके बिज़नेस को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। Business loan kaise le की प्रक्रिया थोड़ी जटिल लग सकती है, लेकिन सही योजना, तैयारी और जानकारी के साथ आप इसे आसानी से पूरा कर सकते हैं।
अपनी ज़रूरतों का सही आकलन करें, अपनी पात्रता जांचें, विभिन्न लोन विकल्पों की सावधानीपूर्वक तुलना करें, सभी दस्तावेज़ तैयार रखें और सही लेंडर चुनें। सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना भी न भूलें, खासकर यदि आप एक छोटे या नए उद्यमी हैं। याद रखें, एक अच्छी तरह से प्लान किया गया लोन आपके बिज़नेस के विकास में सहायक हो सकता है, जबकि बिना सोचे-समझे लिया गया लोन बोझ बन सकता है।
सबसे जरूरी सवाल (Frequently Asked Questions – FAQs)
1. बिज़नेस लोन की औसत ब्याज दरें क्या हैं? (average interest rates for a business loan)
भारत में बिज़नेस लोन की ब्याज दरें आमतौर पर 9% प्रति वर्ष से शुरू होकर 26% प्रति वर्ष या उससे अधिक तक जा सकती हैं। यह आपकी प्रोफाइल, लोन के प्रकार, लेंडर और क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करता है।
2. नया बिज़नेस शुरू करने के लिए लोन कैसे मिलेगा?
नए बिज़नेस के लिए लोन लेना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन असंभव नहीं। आप सरकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY), PMEGP, या स्टैंड-अप इंडिया स्कीम के तहत आवेदन कर सकते हैं। कुछ बैंक/NBFCs भी स्टार्टअप लोन देते हैं, जिसके लिए एक मजबूत बिज़नेस प्लान की ज़रूरत होती है।
3. क्या बिना गारंटी/कोलैटरल के बिज़नेस लोन मिल सकता है? (Is a collateral-free business loan possible?)
हाँ, बिलकुल! कई बैंक और NBFCs असुरक्षित (Unsecured) बिज़नेस लोन देते हैं। इसके अलावा, मुद्रा योजना और CGTMSE स्कीम के तहत मिलने वाले लोन भी कोलैटरल-फ्री होते हैं। हालाँकि, कोलैटरल-फ्री लोन की ब्याज दरें थोड़ी ज़्यादा हो सकती हैं।
4. बिज़नेस लोन चुकाने की अवधि कितनी होती है? (repayment tenure)
यह लोन के प्रकार और राशि पर निर्भर करता है। आमतौर पर, चुकौती अवधि 12 महीने से लेकर 5 साल (60 महीने) तक होती है। कुछ मामलों में, जैसे प्रॉपर्टी पर लोन या बड़ी मशीनरी के लिए, अवधि ज़्यादा भी हो सकती है।
5. मेरी लोन एप्लीकेशन क्यों रिजेक्ट हो सकती है?
लोन एप्लीकेशन रिजेक्ट होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे – खराब क्रेडिट स्कोर, अपर्याप्त आय या टर्नओवर, बिज़नेस का बहुत नया होना, अधूरे या गलत दस्तावेज़, पहले से ज़्यादा कर्ज होना, या बिज़नेस का लेंडर की नेगेटिव लिस्ट में आना।
6. बिज़नेस लोन के लिए न्यूनतम CIBIL स्कोर कितना होना चाहिए? (Minimum CIBIL score required)
कोई निश्चित न्यूनतम स्कोर नहीं है, लेकिन आमतौर पर 700-750 या उससे अधिक का CIBIL स्कोर अच्छा माना जाता है और इससे लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है साथ ही बेहतर ब्याज दर भी मिल सकती है।
7. बिज़नेस लोन मिलने में कितना समय लगता है?
यह लेंडर और लोन के प्रकार पर निर्भर करता है। ऑनलाइन लेंडर और फिनटेक कंपनियां कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों में लोन डिस्बर्स कर सकती हैं, जबकि पारंपरिक बैंकों में 1 हफ्ते से लेकर कुछ हफ्तों तक का समय लग सकता है। सरकारी योजनाओं में भी प्रक्रिया में समय लग सकता है।
8. क्या बिज़नेस लोन पर चुकाए गए ब्याज पर टैक्स छूट मिलती है? (Is the interest tax-deductible?)
हाँ, आमतौर पर बिज़नेस लोन पर चुकाया गया ब्याज (Interest) आयकर अधिनियम की धारा 36(1)(iii) के तहत व्यावसायिक व्यय (Business Expense) माना जाता है और इसे आपके कर योग्य लाभ (Taxable Profit) से घटाया जा सकता है, जिससे आपकी टैक्स देनदारी कम होती है। हालांकि, मूलधन (Principal) की चुकौती पर छूट नहीं मिलती है। कृपया सटीक जानकारी और अपनी स्थिति के अनुसार सलाह के लिए किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) या टैक्स सलाहकार से संपर्क करें।
क्या मैं अपने बिज़नेस लोन का समय से पहले भुगतान (Pre-payment) कर सकता हूँ?
हाँ, ज़्यादातर लेंडर प्री-पेमेंट की सुविधा देते हैं। लेकिन, कुछ लेंडर इसके लिए प्री-पेमेंट शुल्क (Pre-payment Penalty/Foreclosure Charges) ले सकते हैं। लोन लेने से पहले इन शुल्कों के बारे में ज़रूर पता कर लें।