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टेरेस फार्मिंग कैसे शुरू करें? Terrace Farming in Hindi

by Boss Wallah Blogs

आज की भागदौड़ भरी शहरी ज़िंदगी में, हर कोई ताज़ी हवा और प्रकृति के करीब रहना चाहता है। शहरों में जगह की कमी एक बड़ी समस्या है, लेकिन इसका एक बेहतरीन समाधान है – टेरेस फार्मिंग या छत पर खेती। अगर आप भी सोच रहे हैं कि अपनी छत को हरे-भरे बगीचे में कैसे बदला जाए, तो यह लेख आपके लिए है। यहाँ हम आपको टेरेस फार्मिंग शुरू करने की पूरी प्रक्रिया, इसके फायदे और चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताएंगे।

सबसे पहले, आइए समझते हैं कि terrace farming meaning in hindi (टेरेस फार्मिंग का मतलब हिंदी में) क्या है। टेरेस फार्मिंग का सीधा सा मतलब है – अपने घर की छत (Terrace) या बालकनी पर फल, सब्जियां, फूल या जड़ी-बूटियां उगाना। इसे रूफटॉप गार्डनिंग (Rooftop Gardening) या शहरी बागवानी (Urban Farming) का एक रूप भी कहा जा सकता है। यह सीमित जगह में बागवानी करने का एक स्मार्ट और टिकाऊ तरीका है, खासकर घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में।

(Source – Freepik)

छत पर खेती सिर्फ एक शौक नहीं है, बल्कि इसके कई फायदे हैं:

  • ताज़ी और जैविक उपज: आप बिना किसी हानिकारक रसायन के ताज़ी, पौष्टिक और स्वादिष्ट सब्जियां और फल उगा सकते हैं। यह आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है।
  • तनाव कम होता है: बागवानी करना एक थेरेपी की तरह काम करता है। पौधों की देखभाल करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है।
  • शहरी हरियाली में योगदान: आप अपने घर की छत को हरा-भरा बनाकर शहर के वातावरण को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। पौधे कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं।
  • घर का तापमान नियंत्रण: छत पर लगे पौधे गर्मी को सोख लेते हैं, जिससे आपके घर के अंदर का तापमान कम रहता है और गर्मियों में ठंडक महसूस होती है। इससे एयर कंडीशनिंग का उपयोग कम होता है और बिजली की बचत होती है।
  • अपशिष्ट प्रबंधन: आप रसोई के कचरे (जैसे सब्जियों के छिलके) से जैविक खाद (कम्पोस्ट) बनाकर उसका उपयोग अपने टेरेस गार्डन में कर सकते हैं।
  • शारीरिक गतिविधि: बागवानी में निराई, गुड़ाई, पानी देना आदि शामिल है, जो एक हल्का व्यायाम है और आपको सक्रिय रखता है।
  • पैसे की बचत: घर पर सब्जियां उगाने से बाजार से खरीदने का खर्च कम हो जाता है।
  • सीखने का अवसर: आपको पौधों, मौसम और प्रकृति के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

टेरेस फार्मिंग शुरू करना उतना मुश्किल नहीं है जितना लगता है। बस कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रखना होता है। नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें:

1. अपनी छत का आकलन और तैयारी (Assess & Prepare Your Terrace):

  • धूप की उपलब्धता: सबसे पहले देखें कि आपकी छत पर कितनी देर और किस हिस्से में अच्छी धूप आती है (कम से कम 5-6 घंटे)। पौधों के विकास के लिए धूप बहुत ज़रूरी है।
  • छत की मजबूती: सुनिश्चित करें कि आपकी छत अतिरिक्त वज़न (गमले, मिट्टी, पानी) सहन कर सकती है। यदि संदेह हो, तो किसी सिविल इंजीनियर से सलाह लें।
  • वॉटरप्रूफिंग (Waterproofing): यह सबसे महत्वपूर्ण कदम है। छत पर पानी के रिसाव (Leakage) को रोकने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली वॉटरप्रूफिंग करवाना अनिवार्य है। इससे आपकी छत और इमारत को नुकसान से बचाया जा सकेगा।
  • पानी की निकासी (Drainage): सुनिश्चित करें कि छत पर पानी जमा न हो। पानी की निकासी के लिए उचित ढलान और निकास मार्ग होना चाहिए। अतिरिक्त पानी गमलों से आसानी से निकल जाना चाहिए।
  • पानी का स्रोत: पौधों को पानी देने के लिए पास में पानी का नल या स्रोत होना सुविधाजनक रहेगा।

2. सही कंटेनर/गमलों का चुनाव (Choose the Right Containers):

आप विभिन्न प्रकार के कंटेनरों का उपयोग कर सकते हैं:

  • मिट्टी के गमले (Clay Pots): ये पारंपरिक और हवादार होते हैं, लेकिन भारी होते हैं और जल्दी टूट सकते हैं।
  • प्लास्टिक के गमले (Plastic Pots): हल्के, टिकाऊ और विभिन्न आकारों में उपलब्ध होते हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले यूवी-स्थिर (UV-stabilized) गमले चुनें।
  • ग्रो बैग्स (Grow Bags): ये हल्के, सस्ते और पौधों की जड़ों के विकास के लिए अच्छे होते हैं। आजकल ये काफी लोकप्रिय हैं।
  • सीमेंट के गमले (Cement Pots): टिकाऊ लेकिन बहुत भारी होते हैं।
  • रेज्ड बेड्स (Raised Beds): यदि आपके पास पर्याप्त जगह और मजबूत छत है, तो आप ईंटों या लकड़ी से क्यारियां (Raised Beds) बना सकते हैं।
  • रीसायकल कंटेनर (Recycled Containers): पुरानी बाल्टियां, टब, प्लास्टिक की बोतलें आदि का उपयोग भी छेद करके किया जा सकता है।

ज़रूरी: सभी कंटेनरों के तल में पानी की निकासी के लिए छेद (Drainage Holes) होना आवश्यक है।

3. मिट्टी/पॉटिंग मिक्स तैयार करना (Prepare the Potting Mix):

छत पर खेती के लिए सामान्य बगीचे की मिट्टी का उपयोग करने से बचें क्योंकि वह भारी होती है और गमलों में सख्त हो सकती है। एक हल्का और पोषक पॉटिंग मिक्स तैयार करें:

  • सामग्री:
    • सामान्य मिट्टी (Garden Soil): 1 भाग (अच्छी तरह छनी हुई)
    • कोकोपीट (Cocopeat): 1 भाग (यह नारियल के रेशों से बनता है, पानी सोखता है और मिट्टी को हल्का बनाता है)
    • जैविक खाद/वर्मीकम्पोस्ट (Organic Compost/Vermicompost): 1 भाग (केंचुए की खाद या अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद पौधों को पोषण देती है)
    • (वैकल्पिक) रेत (Sand): थोड़ी मात्रा में (अगर मिट्टी चिकनी हो तो निकासी सुधारने के लिए)
    • (वैकल्पिक) नीम खली (Neem Cake): मिट्टी जनित रोगों और कीटों से बचाव के लिए।
  • अनुपात: आमतौर पर मिट्टी, कोकोपीट और कम्पोस्ट का 1:1:1 का अनुपात अच्छा काम करता है। इसे अच्छी तरह मिलाएं।

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4. पौधों का चुनाव (Select Your Plants):

शुरुआत में ऐसे पौधे चुनें जिन्हें उगाना आसान हो और जो आपके क्षेत्र के मौसम के अनुकूल हों:

  • आसान सब्जियां: टमाटर, मिर्च, बैंगन, भिंडी, पालक, धनिया, पुदीना, मूली, हरी प्याज, खीरा (बेल वाली किस्मों के लिए सहारे की जरूरत होगी)।
  • पत्तेदार सब्जियां: लेट्यूस, मेथी, सरसों।
  • जड़ी-बूटियां: तुलसी, लेमनग्रास, अजवायन।
  • फूल: गेंदा, सदाबहार, पेटुनिया (ये परागणकों को आकर्षित करते हैं)।

टिप: शुरुआत कम पौधों से करें और धीरे-धीरे संख्या बढ़ाएं।

5. बीज बोना या पौधे लगाना (Sowing Seeds or Planting Saplings):

  • आप सीधे गमलों में बीज बो सकते हैं या नर्सरी से छोटे पौधे (Saplings) लाकर लगा सकते हैं।
  • बीज पैकेट पर दिए गए निर्देशों का पालन करें (कितनी गहराई में बोना है, दूरी कितनी रखनी है)।
  • पौधे लगाते समय जड़ों को नुकसान न पहुंचाएं।
  • लगाने के तुरंत बाद हल्का पानी दें।

6. पानी देना (Watering):

  • पौधों को नियमित रूप से पानी दें, लेकिन अत्यधिक पानी देने से बचें (Overwatering)।
  • मिट्टी की ऊपरी परत सूखने पर ही पानी दें। उंगली डालकर नमी जांच सकते हैं।
  • पानी देने का सबसे अच्छा समय सुबह या शाम का होता है।
  • गर्मियों में रोज़ या दिन में दो बार भी पानी देना पड़ सकता है, जबकि सर्दियों में कम पानी की ज़रूरत होती है।

7. पोषण और खाद देना (Nutrition & Fertilizing):

  • गमलों में पोषक तत्व सीमित होते हैं, इसलिए समय-समय पर खाद देना ज़रूरी है।
  • हर 15-20 दिनों में जैविक खाद (जैसे वर्मीकम्पोस्ट, गोबर की खाद, कम्पोस्ट टी) डालें।
  • नीम खली और सरसों खली (Mustard Cake) का तरल खाद बनाकर भी दे सकते हैं। हमेशा जैविक विकल्पों को प्राथमिकता दें।

8. कीट और रोग नियंत्रण (Pest & Disease Management):

  • अपने पौधों की नियमित रूप से जांच करते रहें।
  • कीटों या रोगों के शुरुआती लक्षण दिखते ही जैविक तरीकों से नियंत्रण करें।
  • नीम तेल (Neem Oil): पानी में मिलाकर स्प्रे करना सबसे प्रभावी जैविक कीटनाशक है।
  • साबुन का पानी (Liquid Soap Solution) भी एफिड्स जैसे कीटों पर काम करता है।
  • प्रभावित पत्तियों या टहनियों को तुरंत हटा दें।
  • स्वस्थ पौधे कीटों और रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं, इसलिए सही पोषण और देखभाल महत्वपूर्ण है।
(Source – Freepik)
  • छत पर वज़न: हल्के कंटेनर (ग्रो बैग्स), हल्का पॉटिंग मिक्स (कोकोपीट आधारित) इस्तेमाल करें। भारी गमलों को किनारों या बीम के ऊपर रखें।
  • पानी का रिसाव: शुरुआत में ही अच्छी वॉटरप्रूफिंग करवाएं। गमलों के नीचे ट्रे रखें।
  • तेज़ हवा और धूप: तेज़ हवा से बचाव के लिए विंडब्रेकर लगा सकते हैं। तेज़ धूप से बचाने के लिए शेड नेट (Shade Net) का उपयोग करें, खासकर गर्मियों में।
  • कीट और बंदर/पक्षी: नेट या जाल लगाकर पक्षियों और बंदरों से बचाव करें। कीटों के लिए जैविक नियंत्रण अपनाएं।
  • समय की कमी: शुरुआत छोटे स्तर पर करें। ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाने पर विचार करें।

भारत के कई शहरों जैसे बेंगलुरु, पुणे, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और हैदराबाद में टेरेस फार्मिंग काफी लोकप्रिय हो रही है। कई व्यक्ति और समुदाय सफलतापूर्वक अपनी छतों पर सब्जियां और फल उगा रहे हैं। बेंगलुरु (जिसे भारत की गार्डन सिटी भी कहा जाता है) में कई वर्कशॉप और समूह हैं जो लोगों को टेरेस गार्डनिंग सिखाते हैं। यह न केवल खाद्य सुरक्षा में योगदान दे रहा है, बल्कि शहरी जीवन को अधिक टिकाऊ और हरा-भरा बना रहा है। आप चाहें तो अपने शहर में चल रहे ऐसे किसी समूह से जुड़ सकते हैं (यह एक आंतरिक लिंक का उदाहरण हो सकता है यदि आपकी वेबसाइट पर ऐसी जानकारी हो)

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टेरेस फार्मिंग या छत पर खेती शहरी जीवन में प्रकृति से जुड़ने, ताज़ा और स्वस्थ भोजन पाने और पर्यावरण में सकारात्मक योगदान देने का एक शानदार तरीका है। सही योजना और थोड़ी मेहनत से कोई भी अपनी छत को एक उपयोगी और सुंदर बगीचे में बदल सकता है। शुरुआत में छोटी शुरुआत करें, सीखें और अनुभव के साथ अपने टेरेस गार्डन का विस्तार करें। तो, इंतज़ार किस बात का? आज ही अपनी छत पर हरियाली लाने की दिशा में पहला कदम उठाएं!


1. टेरेस फार्मिंग क्या है? (What is Terrace Farming?) टेरेस फार्मिंग का मतलब है अपने घर की छत या बालकनी जैसी सीमित जगह पर फल, सब्जियां, फूल या जड़ी-बूटियां उगाना।

2. क्या टेरेस फार्मिंग के लिए बड़ी छत होना ज़रूरी है? (Is a large terrace necessary?) नहीं, आप छोटी बालकनी या छत के एक छोटे हिस्से से भी शुरुआत कर सकते हैं। वर्टिकल गार्डनिंग जैसी तकनीकों से कम जगह में भी ज़्यादा पौधे उगाए जा सकते हैं।

3. छत पर खेती करने से क्या छत को नुकसान हो सकता है? (Can terrace farming damage the roof?) यदि उचित वॉटरप्रूफिंग नहीं की गई है और जल निकासी सही नहीं है, तो छत को नुकसान हो सकता है। इसलिए, वॉटरप्रूफिंग करवाना और यह सुनिश्चित करना कि पानी जमा न हो, बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही, छत की वजन सहने की क्षमता का ध्यान रखें।

4. टेरेस गार्डन के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी है? (Which soil is best for a terrace garden?) हल्का, पोषक तत्वों से भरपूर और अच्छी जल निकासी वाला पॉटिंग मिक्स सबसे अच्छा होता है। आमतौर पर इसमें मिट्टी, कोकोपीट और जैविक खाद (वर्मीकम्पोस्ट) का मिश्रण उपयोग किया जाता है।

5. टेरेस फार्मिंग शुरू करने में कितना खर्च आता है? (How much does it cost to start terrace farming?) शुरुआती खर्च गमलों/कंटेनरों, पॉटिंग मिक्स, बीज/पौधों और वॉटरप्रूफिंग (यदि आवश्यक हो) पर निर्भर करता है। आप रीसायकल सामग्री का उपयोग करके और छोटे पैमाने पर शुरुआत करके खर्च कम कर सकते हैं। लंबे समय में, यह सब्जियां खरीदने के पैसे बचाता है।

6. कौन सी सब्जियां छत पर आसानी से उगाई जा सकती हैं? (Which vegetables are easy to grow on a terrace?) शुरुआती लोगों के लिए टमाटर, मिर्च, बैंगन, भिंडी, पालक, धनिया, पुदीना, मूली और पत्तेदार सब्जियां उगाना आसान होता है।

7. क्या टेरेस फार्मिंग पूरी तरह से जैविक हो सकती है? (Can terrace farming be completely organic?) हाँ, बिलकुल! आप रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों के बिना, केवल जैविक खाद (कम्पोस्ट, वर्मीकम्पोस्ट, गोबर खाद) और जैविक कीट नियंत्रण विधियों (जैसे नीम तेल) का उपयोग करके पूरी तरह से जैविक टेरेस फार्मिंग कर सकते हैं।

8. छत पर लगे पौधों को कितनी बार पानी देना चाहिए? (How often should terrace plants be watered?) यह मौसम, पौधे के प्रकार, गमले के आकार और पॉटिंग मिक्स पर निर्भर करता है। सामान्य नियम यह है कि जब मिट्टी की ऊपरी परत सूखी लगे, तब पानी दें। गर्मियों में रोज़ या दिन में दो बार, जबकि सर्दियों में कम बार पानी देना पड़ सकता है।9. टेरेस गार्डन के पानी का प्रबंधन कैसे करें? (How to manage water in a terrace garden?) अच्छी जल निकासी वाले गमलों का उपयोग करें। गमलों के नीचे ट्रे रखें ताकि अतिरिक्त पानी छत पर न फैले। ड्रिप इरिगेशन या सेल्फ-वाटरिंग पॉट्स का उपयोग पानी बचाने और प्रबंधन में मदद कर सकता है। सुनिश्चित करें कि छत का मुख्य ड्रेनेज सिस्टम साफ और कारगर हो।

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